कल पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र के बेलदारिचक, नौबतपुर, चंढोस और दानापुर में मोदी सरकार की महत्वकांक्षी योजना दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना और आई० पी० डी० एस० के तहत विद्युत शक्ति उपकेंद्रों का उद्घाटन और शिलान्यास माननीय मुख्यमंत्री द्वारा किया गया। स्थानीय सांसद और पटना जिला दिशा कमिटी और विद्युत कमिटी के चेयरमैन होने के बावजूद माननीय मंत्री आदरणीय श्री रामकृपाल यादव जी को इस कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किया गया।ऊर्जा मंत्रालय भारत सरकार ने राज्य सरकारों को स्पष्ट दिशा निर्देश जारी किया हुआ है की IPDS के शिलान्यास और उद्घाटन कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला विद्युत कमिटी के अध्यक्ष करेंगे। माननीय मुख्यमंत्री का यह रवैया तानाशाह वाला है। वो बिहार में लोकतंत्र का गला घोंट रहे है। संसदीय मर्यादाओं और परम्पराओं का उल्लंघन किया जा रहा है।
कल आदरणीय श्री रामकृपाल यादव जी ने लोकसभा स्पीकर आदरणीया श्रीमती सुमित्रा महाजन जी को पत्र लिखकर कर एक सांसद को प्राप्त अधिकारों की रक्षा का गुहार लगाया है साथ हीं साथ माननीय ऊर्जा मंत्री श्री पीयूष गोयल जी को भी पत्र लिखकर भविष्य में ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित करने की मांग की है जिसमें स्थानीय सांसद एवं अन्य जनप्रतिनिधियों को उचित प्रोटोकॉल के तहत आमंत्रित किया जाए।
पटना जिले में DDUGJY के तहत 322 करोड़ की लागत से खेतों में सिंचाई के लिए अलग से फीडर और ट्रांसफार्मर लगाने की योजना की स्वीकृति भारत सरकार ने दी है जिसमें 75 प्रतिशत राशि भारत सरकार और 25 प्रतिशत राशि राज्य सरकार देगी। माननीय मुख्यमंत्री केंद्र की योजनाओं का श्रेय भी अपने माथे लेना चाहते है। आज राज्यों के विकास में केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों की भूमिका महत्पूर्ण है, आज लगभग हर योजनाओ में केन्द्रांश और राज्यांश में 60 और 40 का अनुपात होता है। जनता को सब पता होता है कि किस योजना में केंद्र और राज्य का कितना हिस्सा है, फिर इतनी ओछी हरकत क्यों कर रही है राज्य सरकार। हद तो तब हो गयी जब उद्घाटन स्थल और शिलान्यास स्थल पर लगे शिलापट्ट में स्थानीय सांसद और विधायक का भी नाम नहीं दिया गया है, यानि “माल हमारा और शिलापट्ट तुम्हारा” और “काम हमारा और नाम तुम्हारा"!
नीतीश कुमार जी चाहे कितना भी आँखों में धूल झोंक लें परन्तु बिहार की महान जनता सब जानती है। जनता समझ रही है कि, "माल महाराज का और मिर्जा खेले होली"।
कल आदरणीय श्री रामकृपाल यादव जी ने लोकसभा स्पीकर आदरणीया श्रीमती सुमित्रा महाजन जी को पत्र लिखकर कर एक सांसद को प्राप्त अधिकारों की रक्षा का गुहार लगाया है साथ हीं साथ माननीय ऊर्जा मंत्री श्री पीयूष गोयल जी को भी पत्र लिखकर भविष्य में ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित करने की मांग की है जिसमें स्थानीय सांसद एवं अन्य जनप्रतिनिधियों को उचित प्रोटोकॉल के तहत आमंत्रित किया जाए।
पटना जिले में DDUGJY के तहत 322 करोड़ की लागत से खेतों में सिंचाई के लिए अलग से फीडर और ट्रांसफार्मर लगाने की योजना की स्वीकृति भारत सरकार ने दी है जिसमें 75 प्रतिशत राशि भारत सरकार और 25 प्रतिशत राशि राज्य सरकार देगी। माननीय मुख्यमंत्री केंद्र की योजनाओं का श्रेय भी अपने माथे लेना चाहते है। आज राज्यों के विकास में केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों की भूमिका महत्पूर्ण है, आज लगभग हर योजनाओ में केन्द्रांश और राज्यांश में 60 और 40 का अनुपात होता है। जनता को सब पता होता है कि किस योजना में केंद्र और राज्य का कितना हिस्सा है, फिर इतनी ओछी हरकत क्यों कर रही है राज्य सरकार। हद तो तब हो गयी जब उद्घाटन स्थल और शिलान्यास स्थल पर लगे शिलापट्ट में स्थानीय सांसद और विधायक का भी नाम नहीं दिया गया है, यानि “माल हमारा और शिलापट्ट तुम्हारा” और “काम हमारा और नाम तुम्हारा"!
नीतीश कुमार जी चाहे कितना भी आँखों में धूल झोंक लें परन्तु बिहार की महान जनता सब जानती है। जनता समझ रही है कि, "माल महाराज का और मिर्जा खेले होली"।
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